हाल ही में प्रसारित हुए और दर्शकों के दिल को छू जाने वाले शेमारू उमंग का ‘कुंडली मिलन’ शो न केवल प्रतिभाशाली कलाकारों को एक साथ लेकर आता है बल्कि अनुभवी रचनात्मक निर्देशक और अभिनेता सतीश दत्त के करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित हुआ है। कैमरे के पीछे तीन दशक बिताने के बाद, सतीश दत्त अब इस शो में कैमरे का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सतीश दत्त साप्ताहिक एक घंटे की प्रोग्रामिंग से लेकर 24 घंटे की प्रोग्रामिंग तक, एक चैनल से 500 से अधिक चैनलों तक विभिन्न कार्यक्रमों के साथ टेलीविजन के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे चूके हैं और अब ओटीटी प्लेटफार्मों के उदय के साथ-साथ फिल्मों को भी पीछे छोड़ चुके हैं उनकी यह यात्रा बहुत सराहनीय रही है। उन्होंने बताया, “इंडस्ट्री में एक निर्देशक, रचनात्मक निर्देशक, लेखक और एडिटर के रूप में 30 साल बिताने के बाद, मैंने हाल ही में फिर से अभिनय की शुरुआत की है और इसकी शुरुआत करने के लिए ‘कुंडली मिलन’ शो और श्री अरविंद बब्बल से बेहतर कोई जगह नहीं है। मैंने उनके साथ हर स्तर पर काम किया है, असिस्टेंट डायरेक्टर, डायरेक्टर और चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर तक। एक अभिनेता के रूप में मैं फिलहाल पचास के दशक में हूं और जीवन के इस नए पड़ाव का लुत्फ उठा रहा हूं। एक रचनात्मक निर्देशक के रूप में मैं अपनी इन सफलताओं के अलावा एक अभिनेता के तौर पर भी मशहूर होना चाहता हूं।”
कहानी कहने और निर्देशन में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाने वाले सतीश दत्त का कैमरे के पीछे से कैमरे के सामने आना एक उल्लेखनीय और परिवर्तनकारी उदाहरण है। तीन दशकों के बाद अभिनय में उनकी वापसी इस मंच पर न सिर्फ एक नए जुनून को पेश करती है बल्कि उनकी रचनात्मक शक्ति को भी खुलकर बयां करती है। ऐसे में कुंडली मिलन शो में सतीश दत्त का किरदार दर्शकों को आकर्षित न करे यह भला कैसे हो सकता है।
कहानी कहने की अपनी विशाल समझ और अपने शिल्प के प्रति समर्पण के साथ, सतीश दत्त की कुंडली मिलन में उपस्थिति इसकी कहानी में अधिक गहराई और प्रामाणिकता को जोड़ती है। मथुरा की पृष्ठभूमि पर आधारित यह शो प्रेम, नियति और मानवीय रिश्तों से जुड़ी भावनाओं की कहानी को उजागर करता है। जैसे-जैसे दर्शक इस मंत्रमुग्ध करने वाली यात्रा से जुड़ेंगे, सतीश दत्त का चित्रण उनपर एक अमिट छाप छोड़ने का वादा करता है।
देखिए ‘कुंडली मिलन’ शो हर सोमवार से शनिवार, शाम 7.30 बजे, सिर्फ शेमारू उमंग पर।