बचपन में हाथों में कलम थामकर जीवन की पहली शुरुआत तो हर कोई करता है, लेकिन गुरु ही होते हैं जो इस शिक्षा को सही दिशा में ले जाते हैं। वे बच्चों को गढ़ते हैं, उन्हें सही राह दिखाते हैं ताकि वे अपने जीवन में कुछ बड़ा कर सकें। शिक्षक बच्चों पर अपनी एक ऐसी अमिट छाप छोड़ जाते हैं जो कक्षा की चौखट से बहुत आगे तक उनके शिष्यों के साथ चलती है। इस शिक्षक दिवस पर सन नियो के प्रमुख कलाकारों ने अपने गुरुजनों से जुड़ी सुनहरी यादें और मन की बात साझा की।
‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बिंदणी’ शो में कुंदन का किरदार निभा रहे अभिनेता आकाश जग्गा बताते हैं,“मेरी पहली टीचर हमेशा मेरी माँ रही हैं। उन्हीं से मैंने धैर्य, संस्कार और बिना शर्त प्यार का अर्थ सीखा है। आज मैं जैसा भी हूँ, उसकी नींव उन्हीं की सीख पर रखी है। टीचर्स डे की बात आते ही मुझे स्कूल के दिन याद आ जाते हैं, जब हम अपने शिक्षकों को सरप्राइज देने के लिए हाथ से बनाए कार्ड या छोटे-छोटे प्रोग्राम प्लान करते थे। उनके चेहरे पर वो खुशी देख कर समझ आता था कि शिक्षक कितनी निस्वार्थ भाव से हमें प्यार देते हैं और हमारी छोटी-सी कोशिश उनके लिए कितनी बड़ी होती है। आज के दिन मैं सभी शिक्षकों को धन्यवाद कहना चाहता हूँ जिन्होंने हम पर विश्वास किया, धैर्य रखा और हमें सही राह दिखाई। उनकी दी हुई शिक्षा जीवनभर हमारे साथ रहती है।”
‘दिव्य प्रेम: प्यार और रहस्य की कहानी’ शो में प्रेम का किरदार निभा रहे सूरज प्रताप सिंह जो कहते हैं,“टीचर्स डे हमेशा मुझे स्कूल की प्यारी यादों में ले जाता है। उस समय हम अपने शिक्षकों की तरह कपड़े पहनकर उनकी भूमिका निभाते थे। तब तो यह सिर्फ एक खेल लगता था, लेकिन आज समझ आता है कि शिक्षक की असली कीमत समय और अनुभव के साथ ही समझ आती है। मेरे जीवन में सबसे बड़े शिक्षक हमेशा महाकाल रहे हैं। बचपन से ही मैंने माँ से उनके किस्से सुने हैं और वही सीख आज भी मुश्किल समय में मेरा मार्गदर्शन करती है। मेरे गुरु और महाकाल दोनों ने ही मेरी सोच, मेरा अनुशासन और जीवन जीने का तरीका गढ़ा है।”
दिव्य प्रेम: प्यार और रहस्य की कहानी यह शो दिव्या की रहस्यमयी यात्रा को दिखाता है, जहाँ उसे प्रेम से मिलने के बाद प्यार, राज और अनपेक्षित मोड़ मिलते हैं। प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बिंदणी की कहानी है घेवर की है जो राजस्थान के एक छोटे से गाँव की खुशमिज़ाज और आत्मनिर्भर लड़की है। उसकी साधारण जिंदगी अचानक तब बदल जाती है जब एक नवजात शिशु उसमें शामिल हो जाता है।
देखिएदिव्य प्रेम: प्यारऔररहस्यकीकहानीरात 8:30 बजेऔरप्रथाओं कीओढ़ेचुनरी: बिंदणीरात 9:00 बजे, सिर्फसननियोपर।







